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ज्योतिष से जानें: नौकरी या व्यापार, कौन सा है आपके लिए बेहतर?
Sunday, February 2, 2025
ज्योतिष के माध्यम से अपने करियर के लिए सही मार्ग चुनने के लिए जन्म पत्रिका और ग्रहों के प्रभाव का विश्लेषण करें
युवाओं के लिए करियर चयन: नौकरी या व्यापार?
आज के समय में जहां हर युवा अपने कैरियर को लेकर चिंतित है वे यह निर्णय ही नहीं कर पाते है कि उन्हें नौकरी करना चाहिए या व्यापार में हाथ आजमाने चाहिए वह बस समाज की अंधी दौड़ में और गलत शिक्षा व्यवस्था के चक्कर में उलझ कर भ्रमित होकर अपने भविष्य को दाव पर लगा देते है जबकि ज्योतिष के माध्यम से आसानी से यह जाना जा सकता है कि आपके लिए व्यापार फलदाई है या नौकरी। अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करे।


केसे फैसला करे
हमारी जन्म पत्रिका में दशम भाव से हमारी आजीविका का विचार किया जाता है पहले के समय में आजीविका सीमित थी किंतु आज के समय में अनेक कार्य है जिनके माध्यम से व्यक्ति अपना जीवन निर्वाह करता है फिर भी मुख्य रूप से या तो व्यक्ति नोकरी करता है या स्वयं का व्यवसाय करता है ओर जब हम व्यवसाय की बात करते है तो जन्म पत्रिका के सातवे तथा एकादश भाव से व्यापार, व्यवसाय का विचार किया जाता है साथ ही बुध ग्रह की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। अतः व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए सातवे तथा एकादश भाव का अच्छी स्थिति में होना अत्यन्त आवश्यक है। इनके साथ ही भाग्य भाव भी बलवान होना चाहिए यदि भाग्य भाव कमजोर हो तो भी व्यक्ति व्यापार में सफल नहीं हो पाता।
प्रमुख योग
यदि लाभेश दशम में और दशमेश लाभ में हो तो अच्छा व्यापारिक योग होता है। सप्तमेश और लग्नेश में राशि परिवर्तन योग हो। सप्तमेश और लाभेश में राशि परिवर्तन योग हो। बुध उच्च या स्वराशि का होकर शुभ स्थानों में विराजमान हो। सप्तमेश और लाभेश केंद्र एवं त्रिकोण से संबंध करें। धन स्थान का स्वामी एकादश में हो और एकादश का धन स्थान में। यदि सप्तम एवं एकादश भाव में पाप ग्रह विराजमान हो या किसी प्रकार से पाप प्रभाव में हो तो व्यापार में संघर्ष अधिक होता है। सप्तमेश एकादशेश तथा बुध नीच राशि अथवा शत्रु राशि में हो या 6, 8, 12 में विराजमान हो तो भी व्यापार में कम लाभ मिलता है। इन योगों के अलावा भी बहुत सारे योग होते है सभी का सम्यक प्रकार से विचार कर के निर्णय लेना चाहिए | यदि सप्तम एवं एकादश भाव में पाप ग्रह विराजमान हो या किसी प्रकार से पाप प्रभाव में हो तो व्यापार में संघर्ष अधिक होता है। सप्तमेश एकादशेश तथा बुध नीच राशि अथवा शत्रु राशि में हो या 6, 8, 12 में विराजमान हो तो भी व्यापार में कम लाभ मिलता है। इन योगों के अलावा भी बहुत सारे योग होते है सभी का सम्यक प्रकार से विचार कर के निर्णय लेना चाहिए |

जमीन के चयन के लिए परीक्षण और श्रेष्ठता की पहचान
Sunday, February 2, 2025
जमीन खरीदने से पहले जानें: श्रेष्ठ और अशुभ भूमि की पहचान और उनका परीक्षण करने के सरल उपाय |
श्रेष्ठ भूमि
जिस जमीन पर हरे-भरे वृक्ष, पौधे, घास आदि हो और खेती की उपज भी अच्छी होती हो वह भूमि जीवित कहलाती है ऐसी भूमि पर निवास करना श्रेष्ठ रहता है। जिस भूमि को खोदते समय पत्थर, ईंट, कंकर, शंख आदि निकलते हो उस भूमि को श्रेष्ठ समझना चाहिए।


अधम भूमि
ऊसर भूमि, चूहे के बिल, बांबी आदि से युक्त उबर- खाबर, कांटेदार पौधों एवं वृक्षों वाली भूमि मृत भूमि कहलाती है इस प्रकार की भूमि पर निवास करने से अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता है जिस भूमि को खोदने पर अथवा हल जोतने भस्म, अंगार, हड्डियां, भूसी, बाल, कोयला, आदि निकले वह भूमि अशुभ होने से त्यागने योग्य है।
भूमि परीक्षा
वैसे तो भूमि की परीक्षा करने के कई तरीके हैं किंतु यह तरीका सबसे आसान है। जमीन के बीचो बीच एक हाथ लंबा, एक हाथ चौड़ा ओर एक हाथ गहरा गढ्ढा खोदे। फिर खोदी हुई सारी मिट्टी पुनः उसी गड्ढे में भरे। यदि गढ्ढा भरने से मिट्टी बच जाए तो वह श्रेष्ठ भूमि है। यदि गड्ढे के बराबर निकलती है तो वह मध्यम भूमि है। यदि मिट्टी गड्ढे से कम निकलती है तो वह भूमि निवास करने योग्य नहीं है।

भूल कर भी ना लगाएं घर में ये 17 वृक्ष
Sunday, February 2, 2025
कई वृक्ष ऐसे है, जो दिशा विशेष में स्थित होने पर शुभ अथवा अशुभ फल देने वाले हो जाते है
वास्तु अनुसार वृक्षारोपण
पूर्व में पीपल भय तथा निर्धनता देता है परन्तु बरगद कामना पूरी करता है । पश्चिम में वट होने से राजपीड़ा, स्त्री नाश तथा धन नाश होता है, और आम कैथ, अगस्त्य तथा निर्गुण्डी धननाशक है । परन्तु पीपल शुभ दायक है । दक्षिण में पाकर रोग तथा पराजय देने वाला है, और आम कैथ, अगस्त्य तथा निर्गुण्डी धन नाश करने वाले है । परन्तु गूलर शुभ है । उत्तर में गूलर नेत्ररोग तथा ह्रास करने वाला है । परन्तु पाकर शुभ है । आग्नेय में वट, पीपल, सेमल, पाकर तथा गूलर पीड़ा तथा मृत्यु देनेवाले होते है। परन्तु अनार शुभ है । नैऋत्य में इमली शुभ है । वायव्य में बेल शुभदायक है । ईशान में आँवला शुभदायक है । ईशान - पूर्व में कटहल एवं आम शुभदायक है ।


शुभ एवं अशुभ वृक्ष
अशोक, पुन्नाग, मौलसिरी, शमी, चम्पा, अर्जुन, कटहल, केतकी, चमेली, पाटल, नारियल, नागकेशर, अड़हुल, महुआ, वट, सेमल, बकुल, शाल आदि वृक्ष घर के पास शुभ है । पाकर, गूलर,आम, नीम, बहेड़ा, पीपल, कपिथ्य, अगस्त्य, बेर, निर्गुण्डी, इमली, कदम्ब, केला, निम्बू, अनार, खजूर, बेल आदि वृक्ष घर के पास अशुभ है । घर के पास काँटेवाले, दूधवाले तथा फलवाले वृक्ष स्त्री और संतान की हानि करनेवाले होते है यदि इन्हे काटा न जा सके तो इनके पास शुभ वृक्ष लगा दे । घर के भीतर सदैव तुलसी लगाना चाहिए यह कल्याणकारी, पुण्यदायिनी तथा हरि भक्ति देनेवाली होती है , भूलकर भी मालती, मल्लिका, कपास, इमली श्वेता (विष्णुक्रांता )और अपराजिता को वास्तु भूमि पर नहीं लगाना चाहिए ।