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मांगलिक दोष
जन्म कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति के कारण मांगलिक दोष बनता है। इसकी वजह से शादी में देरी होती है। शादीशुदा जीवन में कलेश बना रहता है। पति-पत्नी की सेहत खराब बनी रहती है। प्रॉपर्टी संबंधी काम में रुकावटें या विवाद होते हैं। परिवार में विवाद और मनमुटाव भी होने लगता है। इन सब चीजों से बचने के लिए मंगल दोष की शांति करवानी चाहिए।

गृहप्रवेश (वास्तु शांति)
नए मकान में रहने से पहले वास्तु शांति करवानी चाहिए। ऐसा नहीं करने से घर में कई तरह की परेशानियां आती हैं। पैसा नहीं बचता। घर के लोग बीमार रहते हैं। उन्हें किसी न किसी तरह का डर बना रहता है। कष्ट भी होते हैं। ऐसे घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव भी रहता है। वास्तु शांति करवाने पर घर में शांति, सुख और समृद्धि बढ़ती है।
मद्गृहे धन धान्यादि समृद्धिं कुरु सर्वदा ।।
भवन बनवाते समय भी वास्तु दोषों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि जिस भवन में वास्तु दोष होते हैं वहां रहने वाले व्यक्ति कभी भी समृद्ध नहीं होते वह सदैव अनेक प्रकार के क्लेशों से युक्त रहते हैं एवं उन्नति नहीं कर पाते अतः प्रत्येक व्यक्ति को भवन निर्माण के समय वास्तु दोषों का एवं गृह प्रवेश के समय वास्तु पूजन का कार्य संपूर्ण विधि के साथ संपन्न कराना चाहिए।

कालसर्प दोष
कालसर्प दोष वर्तमान समय में सबसे ज्यादा विख्यात व प्रचलित है जिसका नाम आप बार-बार सुनते होंगे कई लोगों का मत है कि यह दोस्त प्राचीन पुस्तकों में नहीं पाया जाता किंतु सर्प दोष पाया जाता है हम इस विषय पर प्रकाश डालेंगे कि यह दोष कालसर्प दोष के नाम से पाया जाता हो या अन्य किसी नाम से किंतु जिस पर जातक की जन्मपत्रिका में यह पाया जाता है उसे इस दोष से जुड़े शुभ अशुभ फलदेखने को अवश्य मिलते हैं यह दोष कई प्रकार का होता है किंतु मुख्य रूप से यह 12 प्रकार का होता है।

दुर्गा पाठ
दुर्गा पाठ अर्थात दुर्गा सप्तशती का पाठ जो मां दुर्गा की प्रसन्नता के लिए कराया जाता है दुर्गा सप्तशती 700 श्लोकों से सुसज्जित मां दुर्गा की स्तुति है जिसका पाठ मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कराया जाता है इस ग्रंथ में भगवती की कृपा के अत्यंत सुंदर इतिहास के साथ बड़े-बड़े गूढ़ रहस्य एवं साधन भरे पड़े हैं कर्म भक्ति एवं ज्ञान की त्रिवेणी का इस ग्रंथ में अद्भुत संगम है यह भक्तों के लिए कल्पवृक्ष के समान है |
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते ।।

महामृत्युंजय मंत्र अनुष्ठान
महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का अत्यंत शक्तिशाली एवं प्रभावशाली मंत्र है जो भी व्यक्ति निष्काम भाव से इस मंत्र का जप करता है या ब्राह्मणों के द्वारा करवाता है वह मोक्ष को प्राप्त करता है एवं यदि कोई व्यक्ति किसी कठिन परिस्थिति में फसा हो और इस मंत्र का विधान करता है तो वह उस स्थिति से जल्द ही छुटकारा पा लेता है जो भी व्यक्ति भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है तो भगवान शिव उसके जीवन में आ रही सभी समस्याओं को समाप्त कर उसे शांति प्रदान करते हैं।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

रुद्राभिषेक
रुद्राभिषेक भगवान शिव के पूजन की विधि है इसमें शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्र अष्टाध्याई के मंत्रों द्वारा भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है, भगवान शिव को जल की धारा अत्यंत प्रिय है इसलिए भी यह महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसमें सतत भगवान शिव के ऊपर जल की धारा लगाई जाती है रुद्राभिषेक में भगवान शिव का प्रथम पंचामृत पूजन किया जाता है जिसके अंतर्गत भगवान शिव के ऊपर दूध दही घी शहद वर्षा से स्नान कराया जाता है एवं इसमें विशिष्टता के लिए भस्मा इत्र गन्ने का रस व अन्य फलों के रस को भी सम्मिलित किया जाता है |