
Astro

एकादशी तिथियां
1 साल में 24 एकादशी होती हैं। जिस साल अधिक मास होता है तब 26 एकादशी होती हैं। विष्णु, स्कंद और भविष्य पुराण सहित अन्य ग्रंथों में एकादशी को बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि कहा गया है। एकादशी व्रत करने से मन प्रसन्न और शरीर स्वस्थ रहता है, सुख और समृद्धि मिलती है, लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं। रोगी, बच्चों और बुढ़े ये व्रत न कर सके तो इस दिन इन्हें चावल और उससे बननी चीजें नहीं खानी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी पर चावल खाता है, वह कई जन्म तक नरक में रहता है।
शनिवार
जया एकादशी
माघ, शुक्ल पक्ष
एकादशी, कृत्तिका नक्षत्र
fastfoodगन्ना सीताफल
सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक
सोमवार
विजया एकादशी
फाल्गुन, कृष्ण पक्ष
एकादशी, रोहिणी नक्षत्र
fastfoodदूध पेड़ा
सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक

वाहन व मशीनरी खरीदारी
किसी भी वाहन की खरीदी जरूरतों को पूरी करने और सुख-समृद्धि के लिए की जाती है। इसके साथ ही दुर्घटनाओं से बचने के लिए शुभ मुहूर्त देख जाते हैं। यहां वाहन खरीदी मुहूर्त में रात को 9 बजे के बाद के मुहूर्त नहीं दिए गए हैं। क्योंकि सूर्यास्त के बाद वाहन खरीदी और पूजा नहीं करनी चाहिए। मुहूर्त वाहन को शोरूम से लाने का नहीं होता है। जब हम उसकी पूजा करके उसे प्रारंभ करते हैं तब हमें शुभ मुहूर्त में करना चाहिए।
सोमवार
वैशाख, शुक्ल पक्ष
त्रयोदशी, पुनर्वसु नक्षत्र
दोपहर 12:00 बजे बाद
बुधवार
वैशाख, कृष्ण पक्ष
षष्ठी, स्वाती नक्षत्र
प्रातः 7:30 तक
गुरुवार
वैशाख, कृष्ण पक्ष
सप्तमी, अनुराधा नक्षत्र
दोपहर 3:15 के बाद
शुक्रवार
वैशाख, कृष्ण पक्ष
अष्टमी, अनुराधा नक्षत्र
दोपहर 12:00 बजे तक

गृह प्रवेश
संपूर्ण वर्ष में सिर्फ 4 माह ऐसे होते हैं जिनमें गृहप्रवेश श्रेष्ठ माना जाता है माघ, फाल्गुन, वैशाख व ज्येष्ठ मास इन महीनों में भी गुरु शुक्र का उदय होना अनिवार्य है। जीर्ण गृह (पुराने घर में) मैं गुरु शुक्र के अस्त् का विचार नहीं किया जाता कोई भी अच्छा दिन या पंचांग शुद्धि देखकर गृह प्रवेश किया जा सकता है। मुहूर्त चिंतामणि एवं मुहूर्त मार्तंड के अनुसार रविवार एवं मंगलवार के दिन गृहप्रवेश वर्जित होता है। एवं जीर्ण गृह (पुराने घर में) मैं गुरु शुक्र के अस्त् का विचार नहीं किया जाता कोई भी अच्छा दिन या पंचांग शुद्धि देखकर गृह प्रवेश किया जा सकता है।
शुक्रवार
माघ, शुक्ल पक्ष
दशमी, रोहिणी नक्षत्र
12:15 से 2:15 दोपहर

अमृत सिद्धि
वार और नक्षत्र से मिलकर बनने वाले ऐसे योग जिनमें कोई काम शुरू किया जाए तो वो जल्दी ही पूरा हो जाता है या उस काम में सफलता मिलना तय होती है। ऐसे ही विशेष शुभ समय को ही अमृत सिद्धि मुहूर्त कहा जाता है। जिस तरह अमृत पीने वाले कि मृत्यु नहीं होती उसी तरह इस मुहूर्त में किए गए काम हमेशा शुभ फल देतें हैं।
मंगलवार
पौष, शुक्ल पक्ष
षष्ठी, अश्विनी नक्षत्र
सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक
रविवार
फाल्गुन, कृष्ण पक्ष
चतुर्थी, चित्रा नक्षत्र
सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक

भूमि पूजन
साल के 12 में से 8 महीनों में ही भूमि पूजन किया जा सकता है। भूमि पूजन मुहूर्त निकालने के लिए भूमि शयन, मलमास, तारा उदय और अस्त सहित अन्य जरूरी बातों का ध्यान रखा जाता है। इसके बाद शुद्ध समय निकाला जाता है। इस शुभ समय में भूमि-पूजन कर के मकान का काम शुरू किया जाए तो उसमें कभी रुकावटें नहीं आती और आसानी से काम पूरा हो जाता है। यहां ज्योतिषीय मुहूर्त ग्रंथों के अनुसार शास्त्रीय विधि से भूमि पूजन के शुद्ध मुहूर्त दिए गए हैं।
शुक्रवार
माघ, शुक्ल पक्ष
दशमी, रोहिणी नक्षत्र
12:15 से 2:15 तक दोपहर